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परमेश्वर पर भरोसा करने से, मैं हेपेटाइटिस बी से मुक्त हो गयी

सम्पादक की टिप्पणी: जैसा कि हम सभी जानते हैं, हेपेटाइटिस बी विषाणु (अर्थात, HBV) अत्यधिक संक्रामक है। इससे होने वाली मृत्यु का अनुमान लगा पाना असंभव है क्योंकि इससे पीड़ित उन रोगियों की संख्या बहुत अधिक है जिनकी स्थिति बिगड़ जाती है और यकृत कैंसर हो जाता है। जहाँ तक मुझे पता है, यकृत कैंसर का सबसे कम उम्र का मरीज़ केवल 2 साल का है और इस कैंसर से मरने वाला सबसे युवा व्यक्ति सिर्फ 24 साल का था। इस लेख की लेखिका को अपने कार्यस्थल पर नए कर्मचारियों के लिए होने वाले शारीरिक परीक्षण के दौरान पता चला कि वह 21 साल की उम्र में हेपेटाइटिस बी की शिकार हो गयी थी। सौभाग्य से, उसकी हालत खराब नहीं हुई, बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके बेहतर हो गई। उसने यह कैसे किया? यह लेख हमें इसका जवाब देगा।

 

चंगाई की प्रार्थना

 

"ज़ुलिंग, क्या आप शादीशुदा हैं? क्या आपके कोई बच्चे हैं?"

 

"मेरी शादी हो चुकी है, लेकिन मेरे कोई बच्चे नहीं हैं।"

 

"विश्लेषण रिपोर्ट से ये पता चला है कि आपको हेपेटाइटिस बी है। अगर आपका बच्चा है, तो आपको उसे स्तनपान नहीं कराना चाहिए। अपने परिवारजनों और दोस्तों के साथ भोजन करते हुए आपको एक अलग कटोरी और चॉपस्टिक का उपयोग करना होगा…"

 

डॉक्टर की बातों ने मुझे एकदम से निराश कर दिया।

 

मुझे कभी नहीं लगा था कि इस तरह के एक साधारण शारीरिक परीक्षण के माध्यम से यह बात समाने आएगी कि मुझे हेपेटाइटिस बी है। इस नतीजे ने मुझे परेशान कर दिया था। यह देखकर कि मैं कितनी चिंतित थी, डॉक्टर ने मुझसे शांत भाव से से कहा, "हेपेटाइटिस बी के लिए अस्पताल में विशेष दवा नहीं दी जाती है। हालाँकि, आप कुछ चीनी दवाइयाँ ले सकती हैं और आप जल्दी ठीक हो जाएंगी। भले ही, आपको यह बीमारी हुए कुछ समय हो गया है, फिर भी अगर आप समय पर चीनी दवाइयाँ लेती रहीं तो आप की स्थिति बेहतर हो जाएगी।" जाहिर है, डॉक्टर मेरी बीमारी की प्रकृति की गंभीरता को छिपाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे पता था कि हेपेटाइटिस बी का इलाज करना मुश्किल है और अगर यह बढ़ गया, तो मेरा जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

 

घर आने के बाद, मेरा खाली कमरा अजीब ढंग से उजाड़ लग रहा था। मैं बिस्तर पर बैठ गयी और बेबसी से खिड़की के बाहर खाली नज़रों से देखने लगी। मेरी आँखों से आँसू बिना रुके बहने लगे। मैं यह सोचे बिना न रह सकी, "मैंने अभी-अभी तो परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया है, तो मुझे यह बीमारी कैसे हो गई? परमेश्वर ने मेरी रक्षा क्यों नहीं की? …" अनजाने में, मैं थोड़ी नकारात्मक हो गयी और परमेश्वर में अपना विश्वास खो बैठी।

 

एक दिन, एक बहन मुझसे मिलने आई। जब उन्हें मेरी स्थिति का पता चला, तो उन्होंने मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया, "जब रोग आता है तो उसकी वजह परमेश्वर का प्रेम होता है और इसके पीछे निश्चित ही उसका भला अभिप्राय होता है। जब कभी तुम्हारा शरीर पीड़ा सहता है तब शैतान का विचार नहीं लायें। बीमारियों के मध्य परमेश्वर की स्तुति करें और अपनी स्तुति के मध्य परमेश्वर में आनंदित हों। बीमारी की परिस्थितियों में निराश ना हों, खोजते रहें और हिम्मत न हारें, और परमेश्वर अपनी ज्योति तुम पर चमकाएगा। अय्यूब कितना विश्वासयोग्य था? सर्वसामर्थी परमेश्वर एक सर्वशक्तिमान चिकित्सक है! बीमारी में रहने का मतलब बीमार होना है, परन्तु आत्मा में रहने का मतलब स्वस्थ होना है। अगर तुम्हारी एक भी सांस बाकी है तो, परमेश्वर तुम्हें मरने नहीं देगा।"

 

परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, उन बहन ने संगति की, "जब हम पहली बार परमेश्वर में विश्वास करते हैं, तो हम सत्य को ज़्यादा नहीं समझते हैं। वास्तव में, हमारे सभी रोग और कष्ट शैतान से आते हैं। शैतान चाहता है कि हम बीमारी और दुर्भाग्य का सामना करें और अपने जीवन से निराश महसूस करें। इस तरह शैतान हमें परेशान करता है, जिससे हमें संदेह करने और परमेश्वर को गलत समझने लगते हैं, जिसके कारण हम परमेश्वर का खंडन और उनसे विश्वासघात कर बैठते हैं। आखिरकार, हम अंत में शैतान के प्रभुत्व में लौट जाते हैं, और इस तरह शैतान का हमें नुकसान पहुंचाने और हमें रौंदने का काम जारी रहता है। शैतान की चालबाजियों में मत फंसिये! आपको यह रोग होने के पीछे परमेश्वर की यही इच्छा कि आप उन पर और अधिक भरोसा करें और उनकी स्तुति करें, हमारे लिए उनकी इच्छा ये नहीं है कि हम शैतान के नुकसान में जीते रहें और नकारात्मक और कमजोर हो जायें। परमेश्वर कहते हैं, 'अगर तुम्हारी एक भी सांस बाकी है तो, परमेश्वर तुम्हें मरने नहीं देगा।' परमेश्वर लंगड़ों को चला सकते हैं, अंधों को दृष्टि दे सकते हैं और मृतकों को जीवित कर सकते हैं। वह सर्वशक्तिमान हैं, और उनके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। हमें परमेश्वर पर विश्वास होना चाहिए, उन पर भरोसा करना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए। यह सब उनके हाथों में सौंप देना चाहिए, उन्हें सब पर शासन करने और सब व्यवस्थित करने देना चाहिए।

 

परमेश्वर के वचनों और उस बहन की संगति के माध्यम से, मैंने परमेश्वर की इच्छा को समझा। जब सब ठीक चल रहा था, तो मुझे परमेश्वर पर बहुत विश्वास था। इसके विपरीत, जब मैं बीमार पड़ी, तो मैंने शिकायत की कि परमेश्वर ने मेरी रक्षा नहीं की। मैंने जो प्रकट किया उससे पता चलता है कि मुझे परमेश्वर पर भरोसा नहीं है। फिर मैंने संकल्प लिया: मैं शैतान की चालबाज़ियों में नहीं फसुंगी। मैं पूरी सच्चाई से परमेश्वर का अनुसरण करुँगी, अपनी बीमारी उनके हाथों में सौंपकर उनकी संप्रभुता और व्यवस्था का पालन करुँगी। अगले दिनों में, मैंने बहुत सारी चीनी दवाएँ खरीदीं और एक दूसरा काम ढूंढा जिसमें मैं सामान्य घंटे काम कर सकती थी।

 

एक महीने बाद, मैं डॉक्टर के कहे अनुसार उनके पास जांच के लिए गयी। परिणाम से पता चला कि मेरी हालत बेहतर नहीं हो रही थी। जब मुझे यह पता चला, तो मैं बहुत उदास हो गयी। मैंने मन में सोचा, "मैंने परमेश्वर से प्रार्थना भी की और दवा भी ली, तो भी मैं बेहतर क्यों नहीं हो रही हूँ? मैं सिर्फ 21 साल की हूँ। अगर मेरी हालत और बिगड़ गयी तो क्या होगा? इसके अलावा, इस बीमारी के इलाज के लिए मुझे बहुत सारे पैसे खर्च करने पड़ेंगे, जो मैं नहीं कर सकती थी।" जितना ज़्यादा मैं इस बारे में सोचती उतना ही अधिक मैं उलझन में पड़ रही थी, परेशान हो रही थी।

 

ईसाई फैलोशिप

 

जब वह बहन फिर से मुझसे मिलने आई, तो मैंने उसे बताया कि मेरे दिमाग में क्या चल रहा था। तब उस बहन ने मुझे अनुभव की गवाही देने वाला एक लेख दिखाया। लेख में जो नायिका थी वो कैंसर के उन्नत चरणों में है और डॉक्टरों का कहना है कि उसके लिए वे और कुछ नहीं कर सकते हैं। इस डर से कि वह उनके घर में मर सकती है, उसका पति उसे घर से निकाल देता है। दूसरे लोग जो उसे अच्छी तरह से जानते हैं, उन्हें लगता है कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। फिर भी, जब वह अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करती है, तो परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन के तहत, वह परमेश्वर के चमत्कारिक कार्यों को देखती है—उसका कैंसर चमत्कारिक ढंग से ठीक हो जाता है। उसके अनुभव ने मुझे उम्मीद दी। मैंने विश्वास किया कि मेरे साथ जो कुछ हो रहा था, वह परमेश्वर द्वारा व्यवस्थित किया गया था: वह परिवेश के साथ-साथ लोगों, घटनाओं और चीजों का उपयोग, मेरी अगुवाई करने और मुझे अपनी सर्वशक्तिमत्ता और संप्रभुता की समझ देने और उसमें विश्वास दिलाने में मदद करने के लिए कर रहे थे। इसलिए, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! मुझे आप पर थोड़ा भी सच्चा विश्वास नहीं था। जब मैं बेहतर नहीं हुई, तो मैं नकारात्मक हो गयी और मैंने शिकायत की। हे परमेश्वर, मैं वास्तव में आपको अपनी बीमारी सौंपना चाहती हूँ। मैं चाहे जब भी ठीक होऊं या मैं चाहे ठीक होऊं या नहीं, लेकिन मैं आपका अनुसरण करने के लिए तैयार हूँ और आपकी व्यवस्थाओं का पालन करना चाहती हूँ।"

 

बाद में, उस बहन ने परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़ा, "कितने लोग सिर्फ और अधिक भौतिक सम्पत्ति मांगने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं, और कितने लोग सिर्फ इस जीवन को सुरक्षित गुज़ारने के लिए और आने वाले संसार में सुरक्षित और अच्छे से रहने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं? कितने लोग केवल नरक की पीड़ा से बचने के लिए और स्वर्ग का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं? कितने लोग केवल अस्थायी आराम के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं लेकिन आने वाले संसार में कुछ हासिल करने की कोशिश नहीं करते हैं? जब मैंने अपने क्रोध को नीचे मनुष्यों के ऊपर भेजा और सारे आनन्द और शांति को ले लिया जो उसके पास पहले से था, तो मनुष्य सन्देहास्पद हो गया। जब मैंने मनुष्य को नरक का कष्ट दिया और स्वर्ग की आशीषों को वापस ले लिया, तो मनुष्य की लज्जा क्रोध में बदल गई। जब मनुष्य ने मुझसे कहा कि मैं उसको चंगा करूँ, फिर भी मैंने उसको नहीं स्वीकारा और उसके लिए घृणा का एहसास किया, तो मनुष्य मेरे सामने से चला गया और तांत्रिक और जादू टोने के मार्ग को खोजा। जब मैंने मनुष्य का सब-कुछ ले लिया जिसको उसने मुझ से मांगा था, तो सभी बिना किसी नाम-निशान के गायब हो गए। इसलिए मैं कहता हूँ कि मनुष्य मुझ पर विश्वास करता है क्योंकि मैं बहुत अनुग्रह रखता हूँ, और प्राप्त करने के लिए और भी बहुत कुछ है।"

 

उस बहन ने संगति करते हुए कहा, "परमेश्वर के वचन परमेश्वर में हमारे विश्वास के उद्देश्यों और अशुद्धियों को उजागर करते हैं। यदि परमेश्वर उजागर न करते तो, तो हम अभी भी शांति और आशीष खोजने को और अपनी बीमारी एवं कठिनाइयों का सामना करते हुए हम परमेश्वर से हमारी मदद करने के लिए आग्रह करने को उचित समझते। वास्तव में, विश्वास के संबंध में इस तरह का परिप्रेक्ष्य गलत है। शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद, हम शैतान के विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों से भरे हुए थे, जैसे कि "स्वर्ग उन लोगों को नष्ट कर देता है जो स्वयं के लिए नहीं हैं" "जब तक कोई संबद्ध लाभ न हो, तब तक कभी भी सुबह जल्दी मत उठो" "बिना जोखिम के लाभ उठाओ", आदि और इसी कारण हम एक स्वार्थी और घृणित स्वभाव के साथ जन्मे थे। चाहे वह परमेश्वर में आस्था से संबंध रखता हो या किसी और चीज से, अपने हित के लिए कार्य करना और खुद को लाभ पहुंचाना हमारा सिद्धांत है, और हमारे अंदर कभी भी सच्ची भक्ति नहीं होती है या हम ईमानदारी से प्रयास नहीं करते हैं। आशीष प्राप्त करने के लिए हम चीजों को त्याग देते हैं, परमेश्वर में अपने विश्वास में स्वयं को खपाते हैं, और अगर हमें शांति या आशीष नहीं मिलता है, तो हम परमेश्वर को नकारते हैं, उनको धोखा देते हैं। यह हमारे स्वार्थी स्वभाव के कारण होता है।"

 

परमेश्वर के वचनों के प्रकटीकरण और बहन की संगति ने मुझे जगा दिया। मुझे पता चला कि जब मैं बीमार पड़ गयी थी तब मेरे नकारात्मक और कमजोर होने, परमेश्वर में विश्वास खोने, परमेश्वर को गलत समझने और उनसे बार-बार शिकायत करने का मुख्य कारण था मेरे स्वार्थी और नीच शैतानी स्वभाव का मुझे आशीष पाने का इरादा और इच्छा रखने की आज्ञा देना। जब मुझे पता चला कि मैं हेपेटाइटिस बी से पीड़ित हूँ, तो मैं अपने दिल में परमेश्वर से मांग करने लगी। इसलिए, जब मैं उपचार की एक अवधि के बाद बेहतर नहीं हुई, तो मैंने परमेश्वर को गलत समझा, उनसे शिकायत की और एक बहुत ही नकारात्मक स्थिति में जीने लगी। मैं अय्यूब की तरह परमेश्वर के लिए गवाही देने में बिलकुल असमर्थ थी, और मैंने देखा कि परमेश्वर पर विश्वास करने का मेरा दृष्टिकोण गलत था! उस वक्त, मुझे अचानक महसूस हुआ कि, भले ही इस बीमारी का सामना करते समय मुझे थोड़े शारीरिक दर्द का सामना करना पड़ा, लेकिन इस परिवेश के माध्यम से, परमेश्वर ने विश्वास पर मेरे गलत दृष्टिकोण और मेरे नीच उद्देश्यों को प्रकट किया था। यह वास्तव में मेरे लिए परमेश्वर का उद्धार था। केवल इस प्रकटीकरण से ही मैं स्वयं को जान सकती थी, और केवल सत्य का अनुसरण करके ही मेरे जीवन स्वभाव को बदला और शुद्ध किया जा सकता था, और मैं अंतत: ऐसी बन सकती थी जो परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है। परमेश्वर का धन्यवाद! परमेश्वर की इच्छा को समझने के बाद, मेरा दिल बहुत सहज महसूस करने लगा।

 

एक दिन, अपने आध्यात्मिक भक्ति के दौरान, मैंने परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा, "कोई भी व्यक्ति अकस्मात पैदा नहीं होता है, किसी भी व्यक्ति की मृत्यु अप्रत्याशित नहीं होती है, और जन्म और मृत्यु दोनों ही उसके पिछले और वर्तमान जीवन से आवश्यक रूप से जुड़े हैं। किसी व्यक्ति की जन्म और मृत्यु की परिस्थितियाँ सृजनकर्ता के द्वारा पूर्वनिर्धारित की जाती हैं; यह किसी व्यक्ति की नियति है, और किसी व्यक्ति का भाग्य है। जैसे किसी व्यक्ति के जन्म के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है, वैसे ही हर एक व्यक्ति की मृत्यु भी विशेष परिस्थितियों के एक भिन्न समुच्चय में होगी, इसलिए लोगों के अलग-अलग जीवनकाल और उनकी मृत्यु के अलग-अलग तरीके और समय होते हैं। कुछ लोग मज़बूत और स्वस्थ्य होते हैं और फिर भी जल्दी मर जाते हैं; कुछ लोग कमज़ोर और बीमार होते हैं फिर भी अपने बुढ़ापे तक जीवित रहते हैं, और शान्तिपूर्वक मर जाते हैं। कुछ अप्राकृतिक कारणों से नष्ट हो जाते हैं, और अन्य प्राकृतिक कारणों से। कुछ घर से दूर अपने जीवन को समाप्त करते हैं, अन्य अपने प्रियजनों के साथ उनके सानिध्य में अपनी आँखें बन्द कर लेते हैं। कुछ अधर में मरते हैं, अन्य धरती के नीचे। कुछ पानी के नीचे डूब जाते हैं, अन्य आपदाओं में खो जाते हैं। कुछ सुबह मरते हैं, कुछ रात्रि में… हर कोई एक शानदार जन्म, एक शानदार ज़िन्दगी, और एक गौरवशाली मृत्यु की कामना करता है, परन्तु कोई भी व्यक्ति अपनी स्वयं की नियति का अतिक्रमण नहीं कर सकता है, कोई भी सृजनकर्ता की संप्रभुता से बचकर नहीं निकल सकता है। यह मनुष्य का भाग्य है।" परमेश्वर के वचनों से, मुझे एहसास हुआ कि प्रत्येक व्यक्ति के जन्म और मृत्यु, और प्रत्येक व्यक्ति के जन्म और मृत्यु का समय, उनकी पृष्ठभूमि और तरीके, जैसी सभी चीज़ें परमेश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित हैं, और यह हमारे द्वारा नहीं चुनी जाती हैं। सच में, मैंने कुछ ऐसे लोगों को देखा है, जो देह से मजबूत होते हुए भी अचानक मर जाते हैं, जबकि अन्य जो कमज़ोर और बीमार हैं वे बुढ़ापे तक जीते हैं; कुछ लोग आरामदायक जीवन जीते हैं, फिर भी जल्दी मर जाते हैं, जबकि अन्य लोग गरीबी का जीवन जीते हैं, फिर भी कई कष्टों को झेलते हुए कई वर्षों तक जीते हैं… इनमें से कुछ भी हम मनुष्यों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है और कोई इसे नहीं बदल सकता है—ये भाग्य है। चूँकि हमारे जीवन पूरी तरह परमेश्वर के पूर्वनिर्धारण और प्रभुता के अधीन हैं, इसलिए मैं कब ठीक होउंगी, ठीक होउंगी भी या नहीं, यह भी परमेश्वर के हाथों में था। सृजित प्राणी होने के नाते, मेरा एकमात्र विकल्प सृष्टिकर्ता के आयोजनों और व्यवस्थाओं का पालन करना, अपने जीवन के हर दिन में परमेश्वर को संतुष्ट करना और परमेश्वर के हृदय को आराम देने के लिए सृजित प्राणी के अपने कर्तव्य को पूरा करना था। यही एकमात्र बुद्धिमत्तापूर्ण विकल्प था, वह मार्ग था जिस पर मुझे चलना चाहिए और जीने का सबसे आसान तरीका था।

 

इस सच्चाई को समझने के बाद, मेरा दिल उज्जवलित हो गया! आने वाले दिनों में, हमेशा की तरह दवा लेने के अलावा, मैं अधिक समय, अपने भाई-बहनों के साथ सभा में, संगति करने में बिताती थी और मैं अपनी पूरी क्षमता से अपने कर्तव्यों को पूरा करती थी। जब मैंने अपने भविष्य के बारे में, आशीष पाने या दुर्भाग्य का सामना करने के बारे में सोचना छोड़ दिया, तो मैंने तहेदिल से खुद को हमेशा से कहीं अधिक मुक्त महसूस किया, मैं अपनी बीमारी के चलते अब और विवश नहीं रह गयी थी। मैं सोचने लगी कि इस जीवन में व्यावहारिक परमेश्वर का अनुसरण करना और उनके लिए जीना पूरी तरह पर्याप्त था।

 

कई महीने बाद, जब मैं पुन: जाँच के लिए अस्पताल गयी, तो डॉक्टर ने मुझे बताया कि मैं अब गंभीर रूप से बीमार नहीं थी और अगर, मैं अपने खान-पान में थोड़ी और सावधानी बरतूँ, तो मुझे दवा लेने की ज़रूरत नहीं होगी और मैं उसके बिना ही ठीक हो जाउंगी। यह सुनकर मैं परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता और प्रशंसा से भर गयी।

 

जब परमेश्वर में विश्वास करने के इस छोटे से एक वर्ष पर मैं मनन-चिंतन किया, तो मैंने यह पाया कि परमेश्वर के कार्य के अपने अनुभव के माध्यम से विश्वास पर मेरा गलत दृष्टिकोण बदल गया था, और मैंने वास्तव में अनुभव किया कि मानवजाति की शुद्धता और उसे बचाने का परमेश्वर का कार्य बहुत वास्तविक और व्यावहारिक है। मैं इस बात पर अधिक दृढ़ हूँ कि अब से मैं अपने संबंध में कोई विचार नहीं करूँगी या अपने लिए कोई योजना नहीं बनाउँगी। इसके बजाय, मैं अपने स्वयं के तुच्छ प्रयासों का योगदान दूँगी और परमेश्वर के प्रेम को चुकाने के लिए अपना सारा जीवन उन्हें समर्पित कर दूँगी।

 

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

 

 

केवल परमेश्वर ही हमें चंगा कर सकते हैं और हमारी आत्माओं का सहारा हो सकते हैं। आइये पढ़ते हुए परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करें और आध्यात्मिक जीवन के विकास में तेज़ी लायें। आपके लिए अनुशंसित: चंगाई वचन बाइबल

 

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