Posts tagged with "परमेश्वर का प्रेम"
मनुष्यजाति के लिए परमेश्वर का प्रेम सँजोने के लिए, दया करने के लिए, और जीवन का सम्मान करने के लिए है; उसकी करुणा और सहिष्णुता मनुष्य से उसकी अपेक्षाओं को सूचित करती है; उसकी करुणा और सहिष्णुता ऐसी चीज़ें हैं जिनकी ज़िन्दा बचे रहने के लिए मनुष्यजाति को आवश्यकता है।
ईश्वर जो भी करता है वो प्यार है। तुम्हारे पापों का न्याय करता है।ताकि परखो तुम खुद को। ताकि तुम्हें प्राप्त हो उद्धार।
उत्पत्ति 2:15-17 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रक्षा करे।
बाइबिल के पाठ · 16. April 2020
“जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएँ होती हैं, तब हे यहोवा, तेरी दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है।” भजन संहिता 94:19
गवाहियाँ · 29. February 2020
सम्पादक की टिप्पणी: जैसा कि हम सभी जानते हैं, हेपेटाइटिस बी विषाणु (अर्थात, HBV) अत्यधिक संक्रामक है। इससे होने वाली मृत्यु का अनुमान लगा पाना असंभव है क्योंकि इससे पीड़ित उन रोगियों की संख्या बहुत अधिक है जिनकी स्थिति बिगड़ जाती है और यकृत कैंसर हो जाता है।
मत्ती 18:21-22 तब पतरस ने पास आकर उस से कहा, "हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ? क्या सात बार तक?" यीशु ने उससे कहा, "मैं तुझ से यह नहीं कहता कि सात बार तक वरन् सात बार के सत्तर गुने तक।"
सुसमाचार मूवी क्लिप · 24. February 2020
इस्राएलियों को मिस्र से बाहर ले जाने के लिये परमेश्वर ने मिस्र में दस महामारियाँ भेजीं, अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए, समुद्रों को दो भागों में बाँट दिया
मत्ती 18:12-14 तुम क्या सोचते हो? यदि किसी मनुष्य की सौ भेड़ें हों, और उनमें से एक भटक जाए, तो क्या वह निन्यानबे को छोड़कर, और पहाड़ों पर जाकर, उस भटकी हुई को न ढूँढ़ेगा?
आस्था और जीवन · 22. January 2020
मत्ती 18:21-22 तब पतरस ने पास आकर उस से कहा, "हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ? क्या सात बार तक?" यीशु ने उससे कहा, "मैं तुझ से यह नहीं कहता कि सात बार तक वरन् सात बार के सत्तर गुने तक।"
बाइबिल अध्ययन · 20. January 2020
हम अक्सर अपने जीवन में मुश्किलों का सामना करते हैं और कभी-कभार परमेश्वर में विश्वास खो देते हैं और शैतान के प्रलोभन से हार जाते हैं। मुश्किल समय में हम परमेश्वर में विश्वास कैसे बनाये रख सकते हैं?