सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य

परमेश्वर का उद्धार मनुष्यों द्वारा आपस में एक-दूसरे को बचाने से अलग है; यह अमीरों द्वारा गरीबों को दी जाने वाली धन-सम्बन्धी राहत नहीं है, यह डॉक्टरों द्वारा रोगियों पर किया गया कार्य जैसे कि घायलों का इलाज और मरने वालों को बचाना नहीं है, और यह धर्मार्थ संगठनों या समाज-सेवी लोगों का कर्म नहीं है।
"एक बार बचाये गये, तो हम हमेशा के लिए बचाये जाते हैं, क्योंकि बाइबल कहती है, 'कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्‍वास करे कि परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्‍चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है'
चूँकि मनुष्य परमेश्वर में विश्वास करता है, तो उसे परमेश्वर के पदचिन्हों का करीब से, कदम दर कदम, अनुसरण करना होगा; और उसे "जहाँ कहीं मेम्ना जाता है उसका अनुसरण" करना चाहिए।
बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का लिखित दस्तावेज़ नहीं है। बाइबल सामान्यतः परमेश्वर के कार्य की पिछली दो अवस्थाओं का आलेख करती है, उसमें से एक भाग है जो पैग़म्बरों की भविष्यवाणियों का लिखित दस्तावेज़ है, और एक भाग वह अनुभव और ज्ञान है, जिन्हें युगों के दौरान उन लोगों के द्वारा लिखा गया था जिन्हें परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल किया गया था।
एक लेख है, जिसका शीर्षक है "सीपी की जाँच।" यह एक ऐसे लड़के की कहानी है, जिसे सीपियाँ बहुत पसंद थीं। एक दिन, उसकी माँ घर पर सीपियों का एक बड़ा झोला लेकर आई।