दैनिक भक्तिपूर्ण पाठ

हम में से हर कोई जो परमेश्वर को मानता है वह परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा रखता है, लेकिन हम उन्हें हासिल क्यों नहीं कर सकते?
जब एक बार विजय का कार्य पूरा कर लिया जाएगा, तब मनुष्य को एक सुन्दर संसार में लाया जाएगा। निस्सन्देह, यह जीवन तब भी पृथ्वी पर ही होगा, किन्तु यह मनुष्य के आज के जीवन के पूरी तरह से असदृश होगा।
ईसाई होने के नाते हममें से कोई भी परीक्षण से अनजान नहीं है। बाइबल में लिखा है, "उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है'"
जो सही मायने में पश्चाताप करते हैं सिर्फ वही परमेश्वर द्वारा सुरक्षा पा सकते हैं और आपदाओं में तबाह होने से बच सकते हैं। तो, सच्चा पश्चाताप क्या है? हम सच्चा पश्चाताप कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
प्रभु यीशु ने कहा, "मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)। प्रभु के शब्दों से हमें पता है कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए, हमें उसे स्वीकार करना चाहिए और उसके प्रति पश्चाताप करना चाहिए।
साल 2020 में, कोविड-19 वायरस पूरी दुनिया में काफ़ी तेज़ी से फ़ैला, जिसने पूरी दुनिया को आतंकित कर दिया। अफ़्रीका में भारी संख्या में टिड्डियों के झुंड का हमला भी हैरान कर देने वाली घटना थी।
जब भी राजा दाऊद का जिक्र होता है, मेरे दिमाग में उसके किशोरावस्था की छवि उभरती है, जब उसने यहोवा की ताकत पर भरोसा करते हुए, गुलेल का इस्तेमाल कर एक पत्थर के साथ विशाल गोलियत को मार गिराया था।
भाइयों और बहनों, हम सभी जानते हैं कि परमेश्वर से प्रार्थना करना ईसाइयों के लिए परमेश्वर से संवाद करने का सबसे सीधा तरीका है।
गलातियों 1:6-8 में दर्ज की गयी बातों की वजह से, कई भाई-बहन ऐसे हैं जो मानते हैं कि उन्हें प्रभु यीशु के मार्ग पर बने रहना चाहिए और किसी अन्य द्वारा प्रचारित किसी भी सुसमाचार का पालन नहीं करना चाहिए।
ईस्टर, या जैसा कि इसे पुनरुत्थान रविवार भी कहा जाता है, एक अवकाश-दिवस है जब प्रभु यीशु के पुनरुत्थान का जश्न मनाया जाता है जो उनके क्रूस पर चढ़ाये जाने के तीन दिन बाद हुआ था।