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"प्रभु जिनका प्रबंधन करना और जिनको बचाना चाहते हैं, क्योंकि अपने दिल में वो, उनको बहुत चाहते हैं;" उसके लिए वो ही सबसे ऊपर हैं।
ईसाई होने के नाते हममें से कोई भी परीक्षण से अनजान नहीं है। बाइबल में लिखा है, "उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है'"
परमेश्वर पीड़ा क्यों होने देते हैं? बाइबल के ये पद पीड़ा के समय, परमेश्वर की इच्छा समझने और उनमें आस्था बनाये रखने में आपकी मदद करेंगे।
जब से चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी सत्ता में आई है, तब से यह लगातार ईसाई धर्म और कैथोलिक धर्म को मानने वाले लोगों का दमन कर रही है और उन्हें यातनाएँ दे रही है।
परमेश्वर ने मानवजाति की सृष्टि की; इसकी परवाह किये बगैर कि उन्हें भ्रष्ट किया गया है या नहीं या वे उसका अनुसरण करते है या नहीं करते, परमेश्वर मनुष्य से अपने प्रियजनों के समान व्यवहार करता है—या जैसा मानव प्राणी कहेंगे, ऐसे लोग जो उसके लिए अतिप्रिय हैं-और उसके खिलौने नहीं हैं।
मानवता के साथ केवल सृष्टिकर्ता का है दया और प्रेम का अटूट बंधन। बस वो ही संजोता अपनी सारी सृष्टि।
प्रभु यीशु ने कहा था, "मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)।
यूहन्ना 20:26-29 आठ दिन के बाद उसके चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उनके साथ था; और द्वार बन्द थे, तब यीशु आया और उनके बीच में खड़े होकर कहा, "तुम्हें शान्ति मिले।"
परमेश्वर खोजता है उन्हें जो चाहते हैं उसे, जो उसके प्रकट होने की करते हैं लालसा।
परमेश्वर चाहे जब सामना हो परमेश्वर के वचन से और काम से, तो ज़्यादा लोग पड़ताल करें उसकी पूरे ध्यान से, और इन अहम वचनों को देखें पवित्र हृदय से।

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