प्रभु यीशु ने कहा था, "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं;" (यूहन्ना 10:27) (© BSI) प्रकाशितवाक्य में भी कई बार इसकी भविष्यवाणी की गर् है, "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।" पवित्रात्मा की आवाज और उसके वचन ही प्रभु की आवाज हैं, और ये परमेश्वर की भेड़ें ही हैं जो परमेश्वर की आवाज को पहचानेंगी। तो र्साइयों के लिए प्रभु के आगमन का स्वागत करते समय कौन सा अभ्यास सबसे महत्वपूर्ण है?
आइए यीशु मसीह का दूसरा आगमन का स्वागत करें और 2,000 साल की प्रतीक्षा का अंत करें। अभी पढ़ें।
Write a comment