प्रभु यीशु के पुनरुत्थान संबंधी बाइबल पद।

प्रभु यीशु के पुनरुत्थान ने लोगों को वाकई यह बताया कि वे एक उद्धारक का प्रकटन थे और इससे प्रभु के प्रति उनकी आस्‍था और उनका अनुसरण करने का संकल्‍प और गहरा हो गया। वे मनुष्‍य को व्‍यवस्‍था के युग से नवयुग – अनुग्रह के युग में ले गए। क्‍या आप प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के गहन अर्थ के विषय में अधिक जानना चाहते हैं? कृपया निम्‍नलिखित बाइबल के पदों को पढ़ें।

अपने पुनरूत्थान के बाद यीशु रोटी खाता है

 

मत्ती 16:21

उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, "अवश्य है कि मैं यरूशलेम को जाऊँ, और पुरनियों, और प्रधान याजकों, और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दु:ख उठाऊँ; और मार डाला जाऊँ; और तीसरे दिन जी उठूँ।"

 

प्रेरितों 1:3

उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पक्‍के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा, और परमेश्‍वर के राज्य की बातें करता रहा।

 

प्रेरितों 2:24

परन्तु उसी को परमेश्‍वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया; क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।

 

प्रेरितों 2:32

इसी यीशु को परमेश्‍वर ने जिलाया, जिसके हम सब गवाह हैं।

 

प्रेरितों 17:31

क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा धार्मिकता से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है, और उसे मरे हुओं में से जिलाकर यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है।

 

प्रेरितों 26:23

कि मसीह को दु:ख उठाना होगा, और वही सबसे पहले मरे हुओं में से जी उठकर, हमारे लोगों में और अन्यजातियों में ज्योति का प्रचार करेगा।

 

परमेश्वर का वचन

 

इसलिए, वह पहली चीज़ जो प्रभु यीशु ने अपने पुनरूत्थान के बाद की वह थी कि उसने इस बात की पुष्टि करने के लिए कि वह अस्तित्व में है, और अपने पुनरूत्थान को साबित करने के लिए हर एक को उसे देखने दिया था। इसके अतिरिक्त, उसने लोगों के साथ अपने रिश्ते को फिर से उस रिश्ते के साथ पुनर्स्थापित किया जैसा उसका उनके साथ तब था जब वह देह में कार्य कर रहा था, और वह उनका मसीह था जिसे वे देख और छू सकते थे। इस तरह, एक परिणाम यह हुआ कि लोगों को सन्देह नहीं रहा कि प्रभु यीशु को क्रूस पर कीलों से ठोंके जाने के बाद उसका मृत्यु से पुनरूत्‍थान हुआ था, और मनुष्य-जाति को छुड़ाने के प्रभु यीशु के कार्य में कोई सन्देह नहीं रहा था। और दूसरा परिणाम यह हुआ कि पुनरुत्थान के बाद प्रभु यीशु का लोगों के सामने प्रकट होने और लोगों को उसे देखने और छूने देने के तथ्य ने मनुष्यजाति को अनुग्रह के युग में दृढ़ता से सुरक्षित किया। इस समय के बाद से, प्रभु यीशु के "अन्तर्धान" या "छोड़कर चले जाने" की वजह से, लोग पिछले युग, व्यवस्था के युग, में नहीं लौट सकते थे, लेकिन वे प्रभु यीशु की शिक्षाओं और उसके द्वारा किए गए कार्य का अनुसरण करके लगातार आगे बढ़ना जारी रख सकते थे। इस प्रकार, अनुग्रह के युग के कार्य में औपचारिक रूप से एक नये चरण का मार्ग प्रशस्त हो चुका था, और जो लोग व्यवस्था के अधीन रहे थे वे उसके बाद औपचारिक रूप से व्यवस्था से बाहर आ गए, और उन्होंने एक नए युग में, एक नई शुरूआत के साथ प्रवेश किया। पुनरूत्थान के बाद मनुष्यजाति के सामने प्रभु यीशु के प्रकट होने के ये बहुआयामी अर्थ हैं।

 

"वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" से उद्धृत

 

प्रभु यीशु के पुनरूत्थित होने के बाद, वह उन लोगों के सामने प्रकट हुआ जिन्हें वह आवश्यक समझता था, उनसे बातें की, और उनसे माँगें की, लोगों के बारे में अपने इरादों, और उनसे अपनी अपेक्षाओं को छोड़ कर चला गया। कहने का अर्थ है, कि देहधारी परमेश्वर के रूप में, इससे फर्क नहीं पड़ता है कि यह उसके देह में रहने के समय के दौरान था, या क्रूस पर ठोके जाने और मृत से जी उठने के बाद आध्यात्मिक देह में रहने के समय था—मनुष्यजाति के लिए उसकी चिन्ता और लोगों से उसकी माँगें नहीं बदली थीं। क्रूस के ऊपर चढ़ाए जाने से पहले वह इन चेलों के बारे में चिंतित था; अपने हृदय में, वह हर एक व्यक्ति की अवस्था को लेकर स्पष्ट था, वह प्रत्येक व्यक्ति की कमी को समझता था, और वास्तव में उसकी मृत्यु, पुनरूत्थान, और आध्यात्मिक शरीर बनने के बाद भी प्रत्येक व्यक्ति के बारे में उसकी समझ वही थी जैसी तब थी जब वह देह में था। वह जानता था कि लोग मसीह के रूप में उसकी पहचान को लेकर पूर्णत: निश्चित नहीं थे, परन्तु देह में रहने के उसके समय के दौरान उसने लोगों से कठोर अपेक्षाएँ नहीं कीं। परन्तु पुनरूत्थित हो जाने के बाद वह उनके सामने प्रकट हुआ, और उसने उन्हें पूर्णत: निश्चित किया कि प्रभु यीशु परमेश्वर से आया है, यह कि वह देहधारी परमेश्वर है, और उसने मनुष्यजाति के द्वारा जीवन भर अनुसरण करने हेतु सबसे बड़े दर्शन और अभिप्रेरणा के रूप में अपने प्रकटन और अपने पुनरूत्थान के तथ्य का उपयोग किया। मृत्यु से उसके पुनरूत्थान ने न केवल उन सभी को मज़बूत किया जो उसका अनुसरण करते थे, बल्कि अनुग्रह के युग के उसके कार्य को पूर्णत: मनुष्यजाति के बीच प्रभावी कर दिया था, और इस प्रकार अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु के उद्धार का सुसमाचार धीरे-धीरे मानवजाति के हर छोर तक पहुँच गया।

 

"वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" से उद्धृत

 

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

 

 

 

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