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एक चमत्कार! चिकित्सकीय रूप से बाँझ पाए जाने के पश्चात, उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया

एक खुले, रोशनी वाले कमरे के भीतर पालने में छह महीने का एक बच्चा ख़ुशी-ख़ुशी लेटा हुआ था, अपने नन्हे मुँह से अपनी छोटी-छोटी उंगलियाँ चूस रहा था … ज़िआओहुई, सोफ़े पर बैठ अपने चेहरे पर एक मुस्कान लिए हुए इस दृश्य को देख रही थी, जिसने पहले कभी इस कमरे की शोभा नहीं बढ़ाई थी।

 

परमेश्वर के अनुग्रह

 

एक समय में बाँझ रही ज़िआओहुई एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाई थी, यह वैज्ञानिक या चिकित्सकीय उपचार का परिणाम नहीं था। यह परमेश्वर के द्वारा उसे दिया गया एक जीवन था। जब उसने दो से भी अधिक वर्षों के चिकित्सकीय उपचार के कड़वाहट भरे समय को याद किया, तो वह मिश्रित भावनाओं से भर गई …

 

बीस-बाईस वर्षों की ज़िआओहुई ने दो वर्ष से अपने प्रेमी रहे व्यक्ति से विवाह किया, विवाह के पश्चात उसने अपने पति के प्रेम और लगाव का आनन्द लिया, परन्तु उसे एक सुन्दर बच्चे को जन्म देने और एक परिवार आरम्भ कर अपने सपने को पूरा करने का भी इन्तज़ार था। परन्तु ज़िआओहुई कभी गर्भवती नहीं हो पाई, जब वह अस्पताल में इसका कारण जानने के लिए गई, तो चिकित्सक ने उसे बताया, "पैदाइशी अंडाशय विकार (कंजिनाइटल ओवेरियन डिसप्लेसिया) को ठीक करना बहुत मुश्किल है।" यह ज़िआओहुई के लिए गम्भीर रूप से पीड़ादायक झटका था, क्योंकि वो किसी भी हाल में एक बच्चा चाहती थी। उसने अपने मन में कहा, "यह कैसे हो सकता है? कोई एक ऐसी महिला का सम्मान कैसे कर सकता है, जो बच्चे पैदा नहीं कर सकती है? यदि मैं एक बच्चा पैदा नहीं कर सकी, तो क्या भविष्य में मेरे पति मुझे चाहेंगे? और मेरी सास भी तो अपने पोते-पोतियों से मिलना चाहती हैं।" ज़िआओहुई नकारात्मकता और दुःख में फंस गई थी और उसके गालों पर से आँसू बह रहे थे …

 

"डॉक्टर, आजकल चिकित्सा बहुत विकसित हो चुकी है, भले ही मेरी स्थिति को ठीक करने और मेरे गर्भवती होने के अवसर कम हैं, फिर भी मैं इसे ठीक करने के लिए जो हो सके वो करना चाहती हूँ। डॉक्टर, कृपया मेरी सहायता कीजिए!" ज़िआओहुई ऐसे भीख माँग रह थी जैसे कि उसने एक बच्चे को जन्म देने की अपनी समस्त आशाएँ उस डॉक्टर से लगा रखी थी। डॉक्टर ने ज़िआओहुई को उपलब्ध अत्यधिक विकसित इन्फ्रारेड वार्मिंग डिसइन्फ़ेक्शन उपचार देना आरम्भ कर दिया और कुछ दवाएँ लेने को भी कहा, परन्तु छह महीने के उपचार और 30,000 युआन खर्च करने के पश्चात भी ज़िआओहुई का रोगनिदान नहीं बदला। उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया था। ज़िआओहुई ने बहुत अधिक असहाय महसूस किया। क्या वास्तव में उसकी स्थिति के लिए कोई उपचार नहीं था? ज़िआओहुई ने अपना उपचार ऐसे अस्पताल में करवाने की कोशिश की जहाँ सभी आवश्यक उपकरण और देश के सबसे अधिक प्रतिभाशाली चिकित्सक मौजूद ह। उसने सोचा कि उनके पास ज़रूर कोई हल मिलेगा। अत: उसने जानकारी एकत्र की और उपचार करवाने के लिए एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय अस्पताल में चली गई।

 

परन्तु, डॉक्टर ने एक नज़र में उसके द्वारा लाई गई सामग्री को देखने और उससे उसकी स्थिति और उपचार के विवरण के बारे में कुछ साधारण प्रश्न पूछने के बाद उसने कहा, "आपको हमेशा से बहुत कम मासिक धर्म हुआ है, आपका अंडाशय बहुत छोटा है, लगभग कुछ मिलीमीटर जितना ही है और एस्ट्रोजेन कम है। आपका चिकित्सकीय विवरण और जाँच के परिणाम, कंजिनाइटल ओवेरियन डिसप्लेसिया के रोगनिदान की ओर ही इशारा करते हैं, इसलिए मैं आपकी अन्य जाँच नहीं करवाऊंगा। इसके स्थान पर हम मासिक धर्म को कृत्रिम रूप से ठीक करने के लिए कृत्रिम प्रोजेस्ट्रोन का प्रयोग करेंगे।" परन्तु इस उपचार के दो महीने के पश्चात ज़िआओहुई की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था और दवा के दुष्प्रभाव ने ज़िआओहुई की भूख भी खत्म कर दी थी। वह इतनी पीड़ा और विपदा में थी कि वह अपनी दवा लेना भी जारी नहीं रख सकी। परन्तु ज़िआओहुई हार नहीं मानना चाहती थी। उसने समस्त चिकित्सकों और अस्पतालों के बारे में सोचा जिन्होंने बाँझपन के अनेक रोगियों का सफल उपचार किया था, जिनके बारे में उसने ऑनलाईन पढ़ा या टेलीविजन या विज्ञापनों में देखा था और वो अगला सफल उदाहरण बनने का सपना देखने लगी। अपनी अन्तिम आशा से प्रेरित हो कर वह दो अत्यधिक प्रसिद्ध बड़े अस्पतालों में गई। उसके रोगनिदान के पश्चात एक प्रसिद्ध डॉक्टर ने उसे बताया, "आपके एस्ट्रोजेन के स्तर बहुत ही कम हैं, तो आपको अपने पूरे जीवन भर होर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेनी होगी। आप उपचार को कभी बन्द नहीं कर सकती हैं या आप समय से पहले ही बूढ़ी हो जाएंगी।" इसमें कोई प्रश्न ही नहीं था कि ये शब्द ज़िआओहुई के जख्मों पर नमक मल दिए जाने के समान थे। उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसकी बीमारी के लिए जीवन भर थेरेपी की आवश्यकता पड़ेगी। निराश ज़िआओहुई के पास डॉक्टर को सुनने और अगले छह महीनों तक उपचार करवाने के अलावा और कोई उपाय नहीं था, परन्तु जब उसकी पुन: जाँच की गई तो उनके अंडाशय अभी भी कम आकार के ही थे और उसमें कोई परिपक्व अंडे नहीं थे। ज़िआओहुई बहुत ही आशाहीन हो गई …

 

 

ज़िआओहुई सदमे में अपनी अन्तिम जाँच के परिणामों को टकटकी लगाकर देख रही थी। बीते दो वर्षों में, उसने काम कर-करके बचाए हुएपूरे 100,000 युआन अपने उपचार पर खर्च कर दिए थे। उसे अपने उपचार की पीड़ाएँ भी स्पष्ट रूप से याद थीं: उसने डॉक्टरों के निर्देशों के अनुसार प्रत्येक जाँच करवाई, हर दवा ली, टीका लगवाया, सबकुछ किया, उसने किसी बात में भी लापरवाही करने का साहस नहीं किया; सर्दी की ठंड और ग्रीष्मकाल की गर्मी में, वह जाँच की प्रत्येक तिथि पर गई, उसे याद भी नहीं था कि उसने कितने दूर तक यात्राएँ कीं, उनमें से कितना खून निकाल लिया गया, और उन्हें कितने टीके लगाए गए थे और कितनी दवाएं ली थी। परन्तु अन्त में, उसकी स्थिति में रत्ती भर भी सुधार नहीं हुआ। इसके स्थान पर वह शारीरिक और मानसिक रूप से क्लांत हो गई थी, पीड़ा में थी, और होर्मोन्स के लम्बे इस्तेमाल के दुष्प्रभावों के कारण, उसका भार 45 किलो से बढ़कर 60 किलो हो गया था। उसका आकार बहुत बढ़ गया था। जब आईने में उसने अपने चन्द्राकार मुखमण्डल और फूले हुए आकार को देखा, तो उसे ऐसी निराशा का अहसास हुआ, जिसका अनुभव उसने पहले कभी नहीं किया था, उसने हमेशा महसूस किया था कि चिकित्सा और विज्ञान आधिकारिक थे, परन्तु वे उतने अच्छे साबित नहीं हुए जितनी उसने कल्पना की थी। उसी समय उसे अहसास हुआ कि सहारे के नाम पर उसके पास कुछ भी नहीं है और वह दुःख और निराशा में डूब गई।

 

उस रात ज़िआओहुई अपने पलंग पर करवटें बदलती रही और सो नहीं पाई। जब उसेने खिड़की से बाहर अन्धियारे को देखा, तो उसने असहाय महसूस किया और उसकी आँखों के किनारों से शान्त अश्रु बहकर तकिए पर गिरने लगे …

 

ज़िआओहुई की नानी, जो उसकी सर्वदा बहुत परवाह करती थीं, उसके घर में आईं और देखा की ज़िआओहुई के बाँझपन ने उसे कितना उत्पीड़ित और निराश बना दिया है। उन्होंने नम्रतापूर्वक ज़िआओहुई को सलाह दी, "ज़िआओहुई मैं जानती हूँ कि तुम ने कितना दुःख उठाया है और पिछले कुछ वर्षों में अपने बाँझपन का उपचार करने में तुम पर क्या बीती है। मैंने तुम्हें इन सब से हो कर गुजरते हुए देखा है, तुम्हारे बारे में मैं बहुत चिन्तित रही हूँ।" ज़िआओहुई शान्त रही क्योंकि वह अपने आँसुओं को रोक रही थी। उसकी नानी ने कहना जारी रखा, "सच तो यह है कि हम गर्भवती होंगे या नहीं, इस विषय में हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम इसे नियन्त्रित नहीं कर सकते हैं, न ही चिकित्सक और विज्ञान इस पर नियन्त्रण कर सकते हैं। मात्र परमेश्वर यह कर सकता है। तुम्हें परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए। उन सभी समस्याओं और कठिनाइयों को हल कर सकते हैं जिनका हम जीवन में सामना करते हैं।" ज़िआओहुई की नानी के शब्दों ने उसे आराम दिया और उसने अपने हृदय को शान्त होते हुए महसूस किया।

 

उसकी नानी ने कहना जारी रखा, "ज़िआओहुई आओ हम परमेश्वर के वचनों से दो अंश पढ़ें और देखें कि वे सन्तान प्राप्त करने के विषय में वे क्या कहते हैं।" ज़िआओहुई ने परमेश्वर के वचनों की पुस्तक ली और पढ़ा: "लोगों की योजनाएँ और कल्पनाएँ उत्तम होती हैं; क्या वे नहीं जानते हैं कि उनके बच्चों की संख्या, उनके बच्चों का रंग-रूप, योग्यताएँ, इत्यादि…? लोग अपनी संतान के लिए किसी भी हद तक जाते हैं, किन्तु अंत में, किसी व्यक्ति के कितने बच्चे हैं, और उसके बच्चे किस प्रकार के हैं, यह उनकी योजनाओं और इच्छाओं का उत्तर नहीं है। कुछ लोग दरिद्र होते हैं परन्तु कई बच्चे होते हैं; कुछ लोग धनी होते हैं फिर भी उनके बच्चे नहीं होते हैं। कुछ लोग एक बेटी चाहते हैं परन्तु उनकी यह इच्छा नकार दी जाती है; कुछ लोग एक बेटा चाहते हैं परन्तु एक लड़के को जन्म देने में असफल रह जाते हैं।"

 

उसकी नानी ने संगति की, "तुम देख सकती हो कि परमेश्वर के वचन कितनी स्पष्टता के साथ इस विषय को समझाते हैं, हमारे द्वारा सन्तान की प्राप्ति, उनका लड़की या लड़का होना, उनका रूप रंग और वे भविष्य में क्या करेंगे, यह सब हमारे ऊपर नहीं है और न ही वह चिकित्सकों के ऊपर है। एक सन्तान पाने के लिए जितना जल्दी हो सके उतने जल्दी प्रयास करो। चिकित्सकीय उपचार और अत्यधिक विकसित इलाज के लिए तुम सभी बड़े अस्पतालों में गई। तुम जो कुछ कर सकती थी तुम ने वह किया, परन्तु यह सब व्यर्थ हुआ। ज़िआओहुई, हम लोगों पर निर्भर नहीं हो सकते हैं। जब हम मात्र परमेश्वर पर निर्भर होते हैं हम एक आश्चर्यकर्म को होते हुए देखते हैं। जब अब्राहम 100 वर्ष का था और उसकी पत्नी सारा पहले ही 90 वर्ष की हो चुकी थी परमेश्वर ने उन्हें इसहाक नामक एक पुत्र प्रदान किया। एक आयु में जब हमें यह जैविक रूप से असम्भव लगता है, कि वह सन्तान उत्पन्न कर सकती थी, एक वर्ष पश्चात सारा ने वास्तव में अब्राहम के पुत्र इसहाक को जन्म दिया। परमेश्वर के अधिकार को हमारे मस्तिष्कों के द्वारा नहीं समझा जा सकता है।"

 

अपनी नानी की संगति को सुनने के पश्चात, ज़िआओहुई ने अपनी बीमारी का उपचार करने के अनुभव का स्मरण किया, उसने किस प्रकार हर सम्भव तरीके पर विचार किया और सभी बड़े अस्पतालों में गई, परन्तु अन्त में फिर भी वह गर्भवती नहीं हो पाई। ज़िआओहुई ने परमेश्वर के वचनों और अपनी नानी की संगति को स्वीकार किया।

 

"ज़िआओहुई अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए अपने आप को और कठिनाई में मत डालो। यदि परमेश्वर ने ठहराया है कि तुम्हें एक सन्तान प्राप्त होगी, तो आज नहीं तो कल तुम गर्भवती हो ही जाओगी। बस विश्वासयोग्यता से इसका सामना करो, प्रार्थना

 

उस क्षण ज़िआओहुई ने समझना आरम्भ कर दिया कि उसे कब और कैसे सन्तान होगी, यह कुछ ऐसा नहीं था, जिसका वह नियोजन या प्रबन्ध कर सकती थी, न ही यह कुछ ऐसा था, जिसे वह प्रयास या चिकित्सकीय उपचार के द्वारा बदल सकती थी। उसके बाद ज़िआओहुई ने अपनी नानी की सहायता से परमेश्वर की आज्ञाकारिता करने की एक प्रार्थना की, उसने पहले से कहीं अधिक तनावमुक्त और सहज महसूस किया। उसने इसकी अधिक परवाह नहीं की कि दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं, इसकी तो और परवाह नहीं की कि उसके ससुराल वाले और उसके पति उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे। इसके बाद से, उसने सन्तान उत्पन्न करने की अपनी योग्यता को कभी दवाओं के सुपुर्द नहीं किया, बल्कि आयोजन और प्रबन्ध करने के लिए इसे परमेश्वर के हाथों में छोड़ दिया। अपने खाली समय में परमेश्वर के वचनों का अध्ययन करने और अपनी नानी के साथ परमेश्वर की स्तुति के भजन गाने के लिए वह अपने माता-पिता के घर चली जाती थी, और अपने हृदय की गहराई में वो परमेश्वर की शान्ति और आनन्द को महसूस करती थी।

 

एक दिन ज़िआओहुई को अचानक मितली जैसा महसूस हुआ। उसने सोचा कि यह अत्यधिक गर्मी में गलत भोजन खाने के कारण हुआ था, इसलिए उसने पारम्परिक चीनी औषधि (टी सी एम) के दो औषध विधियाँ ले लीं, परन्तु वह लेने के पश्चात मितली का अहसास और बुरा हो गया। तभी ज़िआओहुई ने सोचा: क्या मैं गर्भवती हूँ? परन्तु फिर उसने मन ही मन विचार किया, "यह कैसे सम्भव हो सकता है? मैंने दो वर्ष तक बाँझपन के उपचार करवाए, परन्तु कोई सफलता नहीं मिली, मैं गर्भवती कैसे हो सकती हूँ?" बस जिज्ञासा में आकर उसने गर्भधारण एक पुष्टि जाँच की। परिणाम सकारात्मक था। वह इतनी उत्साहित हो गई थी कि वह लगभग कूद ही पड़ी थी! जब वह गर्भवती होने का प्रयत्न कर रही थी, तो उसने बिना किसी सफलता के तीन वर्ष तक प्रयत्न किया। गर्भवती होने और एक सन्तान पाने की योजना को पूरी तरह से त्याग देने और सबकुछ परमेश्वर की सर्वसत्ताधारिता और प्रबन्धों के सुपुर्द कर देने के पश्चात वह वास्तव में गर्भवती हो गई थी। यह एक आश्चर्यकर्म से कम नहीं था! उसे बाइबल की एक घटना स्मरण आई जो उसकी नानी ने बताई थी कि अब्राहम को सौ वर्ष का होने के पश्चात एक पुत्र प्राप्त हुआ था। तब उसे अहसास हुआ कि आज उसका गर्भवती होना परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ की अभिव्यक्ति थी। ज़िआओहुई ने अपने हृदय में अदम्य आनन्द को अनुभव किया। उसने परमेश्वर को अपना धन्यवाद और स्तुति अर्पित किया, वह पहले से कहीं अधिक आश्वस्त हो गयी थी कि मनुष्य के सभी मामले परमेश्वर की सर्वसत्ताधारिता और प्रबन्धों के हिस्से हैं।

 

ज़िआओहुई गर्भावस्था के आनन्द में डूबी हुई थी कि, एक के बाद एक करके नई कठिनाइयाँ आ गईं। डॉक्टर ने ज़िआओहुई को बताया कि उनके गर्भपात की सम्भावना बहुत अधिक थी और इससे बचने के लिए उन्हें प्रोजेस्ट्रोन की गोली लेनी थी। उसे यह देखने के लिए नियमित जाँच भी करवानी थी कि भ्रूण समान्य रूप से विकसित हो रहा था या नहीं, यदि नहीं हो रहा था, तो गर्भपात करवाने की आवश्यकता पड़ेगी। डॉक्टर ने ज़िआओहुई को बताया कि दो चीनी दवाएँ, जो ज़िआओहुई ने गर्भावस्था के दौरान उसकी जानकारी के बिना ली हैं, भ्रूण पर प्रभाव डाल सकती हैं और उसने सलाह दी कि वह इसका पहले ही गर्भपात करवा लें। डॉक्टर के शब्द ज़िआओहुई के लिए एक बहुत बड़ा झटका थे, जिससे वह हिल गई थी। ज़िआओहुई जानती थी कि उसकी बीमारी में गर्भवती होना कठिन था और यह "आकस्मिक" गर्भधारण एक आश्चर्यकर्म था। उसे चिन्ता हुई कि यदि वह इसका गर्भपात करवा देती है, तो वह पुन: कभी गर्भवती नहीं होगी, परन्तु यदि वह ऐसा नहीं करती है, तो वह एक विकृत बच्चे को जन्म देगी। वह बेचैन हो गई। हालांकि अस्पताल ने उसके लिए टॉक्लेटिक दवाएं निर्धारित की थीं, उसे विश्वास दिलाने के लिए कुछ भी नहीं था, कि यह काम करेगा, उसे नहीं पता था कि क्या करना है।

 

परमेश्वर का प्रेम

 

एक सभा में ज़िआओहुई ने अपने भ्रूण के बारे में अपनी चिन्ताओं और आशंकाओं पर संगति की। उसकी बहन ने धैर्यपूर्वक परमेश्वर के वचनों के अंशों को खोजा और उसके साथ संगति की और ज़िआओहुई ने यह पद्यांश पढ़ा, "क्या यह सही है? तो विज्ञान लोगों के लिए क्या करता है? विज्ञान जो करता है वह है कि यह लोगों को इस भौतिक जगत की वस्तुओं को देखने देता है और मनुष्य की जिज्ञासा मात्र को सन्तुष्ट करता है; यह मनुष्य को उन नियमों को नहीं देखने देता है जिनके द्वारा परमेश्वर सब चीज़ों पर प्रभुत्व रखता है। मनुष्य विज्ञान के द्वारा उत्तर पाता हुआ प्रतीत होता है, किन्तु वे उत्तर उलझन में डालने वाले होते हैं और केवल अस्थायी संतुष्टि लाते हैं, ऐसी संतुष्टि जो मनुष्य के मन को केवल इस भौतिक संसार तक सीमित रखने का काम करती है। मनुष्यों को महसूस होता है कि उन्हें विज्ञान से हर चीज़ का उत्तर मिल गया है, इसलिए जो कुछ भी मामला उठ खड़ा होता है, वे अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर उसे साबित या स्वीकृत करने का प्रयास करते हैं। मनुष्य का हृदय विज्ञान से ग्रस्त हो जाता है और उसके द्वारा इस हद तक बहक जाता है जहाँ मनुष्य के पास परमेश्वर को जानने, परमेश्वर की उपासना करने, और यह विश्वास करने का अब और मन नहीं होता है कि सभी चीज़ें परमेश्वर से ही आती हैं, और उत्तरों को पाने के लिए मनुष्य को उसकी ओर ही देखना चाहिए।"

 

उसकी बहन ने संगति की, "हम विज्ञान की आराधना करते है, इसपर निर्भर होते हैं क्योंकि विज्ञान की राय और उसके शब्दों के आडम्बर हमारे हृदयों में रोपित हैं। उदाहरण के लिए 'विज्ञान सर्वसामर्थी है' और 'विज्ञान सर्वोच्च है' जैसे विचार हमें ऐसा सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि, जब हम बीमार होते हैं, तो हमें परमेश्वर की इच्छा की खोज करने के लिए परमेश्वर के पास आने के स्थान पर एक डॉक्टर से मिलना चाहिए और विज्ञान पर निर्भर होना चाहिए। जब विज्ञान और दवाएँ हमारी समस्याओं को हल नहीं कर पाती, हम निराशा और पीड़ा में पड़ जाते हैं। अपनी बीमारी का अनुभव करने में जब डॉक्टर ने कहा कि तनिक भी सम्भावना नहीं है कि तुम गर्भवती हो पाओगी, तब तुम भयभीत और चिन्तित थी कि तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हें नीची दृष्टि से देखेंगे, इस कारण तुम पीड़ा में जी रही थी, तुमने डॉक्टर को अपनी जीवन रेखा के रूप में देखा। जब डॉक्टर ने कहा कि जो दवा तुम ने ली है वह तुम्हारे बच्चे पर प्रभाव डाल सकती है और तुम्हें गर्भपात करवाने की सलाह दी, तब तुमने परमेश्वर के वचनों और कार्यों को भुला दिया और यह सोचकर उत्कण्ठा और कष्ट में जीने लगी कि जो बच्चा तुम्हें परमेश्वर ने दिया है वह स्वस्थ नहीं होगा। तथ्य तो यह है कि मनुष्य परमेश्वर के द्वारा रचा गया था और प्रत्येक की देह के विकार और भविष्य में क्या होगा, सबकुछ परमेश्वर के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है और परमेश्वर लोगों के लिए बिलकुल सटीक प्रबन्ध करता है। परमेश्वर के वचनों से हम जानते हैं कि विज्ञान सत्य नहीं है और लोगों को बचा नहीं सकता है, यह तो बस लोगों को भ्रष्ट, भरमा और पथभ्रष्ट कर सकता है, इसलिए यदि हम अपने आप को पीड़ा से बचाना चाहते हैं, तो हमें कार्यों को करने के लिए परमेश्वर के वचनों को अपने सिद्धांतों के रूप में स्वीकारना होगा, विज्ञान के साथ सही रूप से व्यवहार करना होगा, अन्धविश्वासी ढंग से विज्ञान के पीछे चलना रोकना होगा। तुम्हारी वर्तमान स्थिति में, भ्रूण को सुरक्षित रखने के लिए वह करो जो तुम्हें करना चाहिए, अपनी नियत जाँचें करवाओ, परन्तु भ्रूण के भाग्य को परमेश्वर को सुपुर्द कर दो और परमेश्वर से प्रार्थना करो, और चाहे बच्चा स्वस्थ पैदा हो या न हो, बस परमेश्वर के प्रबन्धों का पालन करो और इस रीति से तुम अब से पीड़ा में जीवन नहीं बिताओगी।"

 

ज़िआओहुई ने जब परमेश्वर के वचनों को पढ़ और अपनी बहन की संगति को सुन तो उसका हृदय प्रसन्न हो गया। वह गहराई से प्रभावित हुई और उसेने सोचा, "यह सही तो है! मैं परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और सर्वसत्ताधारिता को नहीं समझती हूँ और विज्ञान पर निर्भर होने और अन्धविश्वासी ढंग से विज्ञान के पीछे चलने ने मेरे जीवन को दयनीय बना दिया है। परन्तु मेरी नानी के मेरे लिए अनेक बार परमेश्वर के वचन पढ़ने और उन पर संगति करने के साथ-साथ आपकी संगति और सहायता के द्वारा मैंने परमेश्वर जो योजना बनाता और नियत करता है, उसका ज्ञान प्राप्त कर लिया है, अब जिन कठिनाइयों का मैं सामना करूँगी, मैं उनका सही रीति से निपटारा करूँगी और शैतान को खिलवाड़ करने या हानि नहीं पहुँचाने दूँगी। दरअसल मैंने अपने होर्मोन रोगोपचार को छोड़ने के पश्चात आश्चर्यजनक रीति से गर्भवती होने के मामले में परमेश्वर के अधिकार को देख लिया है और मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है कि परमेश्वर के अधिकार के सामने विज्ञान और चिकित्सा सारहीन हैं। अब डॉक्टर मुझे सलाह देता है कि भ्रूण को स्वस्थ रखने के लिए मुझे दवा लेनी है और कहता है कि यदि असमान्यताएँ हुईं, तो मुझे गर्भपात करवाना होगा इसलिए मैंने इसके बारे में चिन्ता करना और परेशान रहना आरम्भ कर दिया, जो प्रमाणित करता है कि मैं अभी भी परमेश्वर के अधिकार पर भरोसा नहीं करती हूँ, कि परमेश्वर सबकुछ का संचालन करता है। मैं प्रार्थना करना और भ्रूण को परमेश्वर के सुपुर्द करना चाहती हूँ और इसी के साथ-साथ मैं भ्रूण को अनेक सप्ताह तक स्वस्थ रखने के लिए दवा भी लूँगी। परिणामों का प्रबन्धन करने के लिए मैं इसे परमेश्वर पर छोड़ दूँगी।"

 

इसके बाद से, ज़िआओहुई का हृदय शान्त हो गया और उसने भ्रूण के बारे में चिन्ता करना और परेशान रहना बन्द कर दिया। अस्पताल में उसकी तीसरी जाँच में यह पाया गया कि उसके प्रोजेस्ट्रोन का स्तर सामान्य था, और उसकी सम्पूर्ण गर्भावस्था के दौरान उसकी समस्त नियमित जाँचों में भ्रूण के बारे में सबकुछ सामान्य था। वह जानती थी कि परमेश्वर उसे सुरक्षित रख रहा था, उसकी देखभाल कर रहा था और उसका हृदय परमेश्वर के लिए आभार से भर गया।

 

जनवरी 2018 में ज़िआओहुई ने बिना किसी जटिलता के जन्म दिया और परमेश्वर ने उसे एक बहुत ही प्यारा बेटा प्रदान किया। उसके जन्म के पश्चात की जाँचों में शिशु रोग विशेषज्ञ ने उसके बिलीरुबिन स्तर की जाँच की और ज़िआओहुई को बताया कि वे बहुत बढ़े हुए हैं और उसे उपचार के लिए अस्पताल में ठहरना होगा। यदि उसकी हालत का उपचार नहीं हो सका, तो उसके बेटे को पीलिया हो जाएगा जो मस्तिष्क को स्थाई रूप से खराब कर सकता है और उसकी बुद्धिमत्ता को प्रभावित कर सकता है। डॉक्टर के आकलन ज़िआओहुई को अत्यधिक गम्भीर मालूम दिए और वह चिन्तित हो गई कि यदि वे अस्पताल में नहीं रुके तो उसके बेटे की बुद्धिमत्ता प्रभावित हो जाएगी, इसलिए उसेने परमेश्वर से प्रार्थना की, "परमेश्वर तूने मुझे यह बच्चा प्रदान किया है, उसकी बीमारी और सबकुछ तेरे हाथों में है। उसके बिलीरुबिन स्तर का आगे क्या होगाऔर वे उसके मस्तिष्क को प्रभावित करेंगे या नहीं, सबकुछ तेरे ऊपर है, डॉक्टर के नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि परिणाम क्या होगा, मैं तेरी सर्वसत्ताधारिता और प्रबन्धों के अधीन रहूँगी।" प्रार्थना के पश्चात उसने परमेश्वर के वचनों पर विचार किया: "कोई भी और सभी चीज़ें, चाहे जीवित हों या मृत, परमेश्वर के विचारों के अनुसार ही जगह बदलेंगी, परिवर्तित, नवीनीकृत और गायब होंगी। परमेश्वर सभी चीजों को इसी तरीके से संचालित करता है।" परमेश्वर के वचनों ने ज़िआओहुई के विश्वास को मज़बूत किया। उसने अपने बच्चे को परमेश्वर के सुपुर्द करने का निर्णय किया। 15 दिनों के बाद, ज़िआओहुई अपने बेटे को जाँच के लिए अस्पताल में ले कर आई और पाया कि उसके बिलीरुबिन स्तर सामान्य थे, उसने पुन: देखा कि परमेश्वर की सर्वसत्ताधारिता और सामर्थ हर जगह है और मात्र परमेश्वर ही हमारे भरोसे के योग्य है। जब ज़िआओहुई ने अस्पताल में अन्य माताओं से बात की तो उसे पता चला कि उनके बच्चों को बिलीरुबिन स्तर के अत्यधिक बढ़े होने के कारण लगातार उपचार के लिए अस्पताल में रुकना पड़ा था। ज़िआओहुई ने परमेश्वर पर अपने विश्वास के लिए आनन्द मनाया, मात्र इसलिए नहीं कि उसे और धन व्यय नहीं करना पड़ा था, परन्तु इसलिए भी कि उसेके बच्चे को कष्ट नहीं हुआ था और उसे भी वो चिन्ता और झेलने की आवश्यकता नहीं थी।

 

बाँझपन से गर्भधारण के अपने सफर में और फिर संसार में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने में ज़िआओहुई ने व्यक्तिगत रूप से अनुभव और महसूस किया कि परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और सर्वसत्ताधारिता व्यावहारिक हैं, कि परमेश्वर के वचन लोगों को जीते रहने के लिए प्रेरणा देते हैं, कि विज्ञान सत्य नहीं है, यह लोगों को नहीं बचा सकता है और यह लोगों के भाग्य को नहीं बदल सकता है। मात्र परमेश्वर ही लोगों के जीवन का स्रोत है, मात्र परमेश्वर ही मनुष्यजाति के भाग्य का संचालन और आयोजन करता है और लोगों के पास क्या है और लोगों के पास किसकी घटी है, यह पूरी तरह से परमेश्वर के ऊपर है। ज़िआओहुई ने भविष्य में विश्वास की ज्योति में चलने, परमेश्वर की आराधना करने, परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा में जीवन जीने की आशा की।


स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

 

केवल परमेश्वर ही हमें चंगा कर सकते हैं और हमारी आत्माओं का सहारा हो सकते हैं। आइये पढ़ते हुए परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करें और आध्यात्मिक जीवन के विकास में तेज़ी लायें। आपके लिए अनुशंसित: चंगाई वचन बाइबल

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