कठिन समय में परमेश्वर में विश्‍वास बनाये रखने में आपकी मदद हेतु बाइबल के 15 छंद

 

हम अक्सर अपने जीवन में मुश्किलों का सामना करते हैं और कभी-कभार परमेश्वर में विश्‍वास खो देते हैं और शैतान के प्रलोभन से हार जाते हैं। मुश्किल समय में हम परमेश्वर में विश्‍वास कैसे बनाये रख सकते हैं? नीचे, आपके लिए विश्‍वास से संबंधित बाइबल के 15 छंद दिए गये हैं। उन्हें पढ़ें, परमेश्वर में अपनी विश्‍वास बढ़ाएं और परमेश्वर के नजदीक जायें।

 

बाइबिल के पद - विश्वास

 

"यीशु ने उनको उत्तर दिया, "मैं तुम से सच कहता हूँ, यदि तुम विश्‍वास रखो और संदेह न करो, तो न केवल यह करोगे जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है, परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, 'उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़', तो यह हो जाएगा" (मत्ती 21:21)।

 

"यहोवा के सामने चुपचाप रह, और धीरज से उसकी प्रतीक्षा कर; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्‍तियों को निकालता है!" (भजन संहिता 37:7)

 

"तेरे निकट हज़ार, और तेरी दाहिनी ओर दस हज़ार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा" (भजन संहिता 91:7)।

 

"चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है" (भजन संहिता 23:4)।

 

"उसने उनसे कहा, "अपने विश्‍वास की घटी के कारण, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, यदि तुम्हारा विश्‍वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे, 'यहाँ से सरककर वहाँ चला जा', तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये असम्भव न होगी" (मत्ती 17:20)।

 

"तू हियाव बाँध और दृढ़ हो, उनसे न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्‍वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा" (व्यवस्थाविवरण 31:6)।

 

"मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता : तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे" (यूहन्ना 14:27)।

 

"यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, "मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है" (मत्ती 19:26)।

 

"इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो, तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा" (मरकुस 11:24)।

 

"यीशु ने उससे कहा, "यदि तू कर सकता है? यह क्या बात है! विश्‍वास करनेवाले के लिए सब कुछ हो सकता है" (मरकुस 9:23)।

 

"किसी को रथों का, और किसी को घोड़ों का भरोसा है, परन्तु हम तो अपने परमेश्‍वर यहोवा ही का नाम लेंगे" (भजन संहिता 20:7)।

 

"क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्‍वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। वह थके हुए को बल देता है और शक्‍तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। तरुण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्‍त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे" (यशायाह 40:28-31)।

 

"इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे और क्या पीएँगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं? 26आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते?" (मत्ती 6:25-26)।

 

"परमेश्‍वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक" (भजन संहिता 46:1)।

 

"क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्‍वास से चलते हैं" (2 कुरिन्थियों 5:7)।

 

परमेश्वर कहता है, "विश्वास किस चीज को संदर्भित करता है? विश्वास सच्चा भरोसा है और ईमानदार हृदय है जो मनुष्यों के पास होना चाहिए जब वे किसी चीज़ को देख या छू नहीं सकते हों, जब परमेश्वर का कार्य मनुष्यों के विचारों के अनुरूप नहीं होता हो, जब यह मनुष्यों की पहुँच से बाहर हो। इसी विश्वास के बारे में मैं बातें करता हूँ। मनुष्यों को कठिनाई और शुद्धिकरण के समय में विश्वास की आवश्यकता होती है, और विश्वास के साथ-साथ शुद्धिकरण आता है। ये अलंघनीय है। चाहे परमेश्वर कैसे भी कार्य करे या तुम किस प्रकार के वातावरण में हो, अगर तुम जीवन की खोज करने में समर्थ होगे, अपने अंदर परमेश्वर के कार्य की पूर्ति के तलाश कर पाओगे, और सत्य की खोज करने में समर्थ होगे और अगर तुम्हारे पास परमेश्वर के कार्यों की समझ होगी और तुम सत्य के अनुसार कार्य करने में समर्थ होगे, तो यह तुम्हारा सच्चा विश्वास है, और यह दिखाता है कि तुमने परमेश्वर में अपना विश्वास नहीं खोया है। केवल जब तुम अभी भी शुद्धिकरण द्वारा सत्य का अनुसरण करने में समर्थ हो, तुम सच में परमेश्वर से प्रेम करने समर्थ हो और उसके बारे में संदेहों को पैदा नहीं करते हो, अगर वो जो भी करे, तुम फिर भी उसे संतुष्ट करने के लिए सत्य का अभ्यास करते हो, और तुम गहराई से उसकी इच्छा की खोज करने में समर्थ होते हो और उसकी इच्छा के बारे में विचारशील होते हो, तो इसका अर्थ है कि तुम्हें परमेश्वर में सच्चा विश्वास है।"

 

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

 

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